आंखों की आम समस्या है कन्जंक्टिवाइटिस, जिस पर समय रहते ध्यान न दिया जाए, तो मुश्किलें बढ़ जाती हैं। आंखों की इस समस्या से कैसे बचे रह सकते हैं और इसकी चपेट में आ जाएं, तो किन बातों पर ध्यान दें।
गर्मी का मौसम अपने साथ कई समस्याएं लेकर आता है, जिनमें आंखों की समस्याएं भी शामिल हैं। इसमें कन्जंक्टिवाइटिस की समस्या प्रमुख है। यह समस्या गर्मियों के मौसम में बहुत आम होती है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि तापमान में वृद्धि होने के कारण वायरस को फैलने का आदर्श वातावरण मिल जाता है। कन्जंक्टिवाइटिस या ‘पिंक आई’ आंखों की सबसे आम समस्या है, जो हर उम्र के लोगों को प्रभावित करती है। यह आंख के कंजक्टिवा की सूजन है। कंजक्टिवा पलकों और आंख के अंदर के सफेद हिस्से को कवर करने वाली स्पष्ट, पारदर्शी और पतली परत है। जब कोई चीज इस परत को परेशान करती है, तो आंखों में लाली और सूजन आ जाती है।
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हमारी आंखों में एक पारदर्शी पतली झिल्ली, कंजक्टिवा होती है जो हमारी पलकों के अंदरूनी और आंखों की पुतली के सफेद भाग को कवर करती है, इसमें सूजन आने या संक्रमित होने को कंजक्टिवाइटिस या आंख आना कहते हैं। जब कंजक्टिवा की छोटी-छोटी रक्त नलिकाएं सूज जाती हैं, तब ये अधिक स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगती हैं और आंखों का सफेद भाग लाल या गुलाबी दिखने लगता है। इसलिए इसे पिंक आई भी कहा जाता है। यह एक्यूट या क्रॉनिक दोनों ही रूपों में हो सकती है और दो सप्ताह में यह अपने आप ही ठीक हो जाती है। लेकिन कई लोगों में कंजक्टिवाइटिस के कारण गंभीर लक्षण दिखाई देते हैं, जिसके तुरंत उपचार की जरूरत होती है। वैसे तो यह समस्या किसी को कभी भी हो सकती है, लेकिन गर्म और नम वातावरण में इसके होने का खतरा अधिक होता है।
कंजक्टिवाइटिस की समस्या आंखों में बैक्टीरिया या वाइरस के संक्रमण या एलर्जिक रिएक्शन के कारण हो सकती है। छोटे बच्चों में टियर डक्ट (अश्रु नलिका) के पूरी तरह खुला न होने से भी अक्सर पिंक आई की समस्या हो जाती है। यह एक अत्यंत संक्रामक स्थिति है, इसलिए इसका तुरंत उपचार जरूरी है।
इस परत में जलन का सबसे आम कारण पर्यावरण से एलर्जी है, जिसमें वायु प्रदूषण, धूम्रपान और पेड़ व घास के पराग कण शामिल हैं। अन्य सामान्य कारणों में परफ्यूम, कॉस्मेटिक और आई मेकअप शामिल हैं। इनके परिणामस्वरूप कन्जंक्टिवाइटिस होता है, जिसे एलर्जी कन्जंक्टिवाइटिस भी कहते हैं। हमारे शहर में निर्माण कार्य से आने वाली धूल भी एलर्जी कन्जंक्टिवाइटिस का एक प्रमुख कारण है। कुछ मामलों में, रात भर एक बंद कमरे में मच्छर भगाने वाले लिक्विड का उपयोग एलर्जी और पलकों में सूजन पैदा कर सकता है। एलर्जी कन्जंक्टिवाइटिस परेशान करने वाला हो सकता है, लेकिन यह आपकी दृष्टि को तब तक नुकसान नहीं पहुंचाता, जब तक इसके लक्षण बहुत गंभीर न हो जाएं। संक्रामक कन्जंक्टिवाइटिस पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत होती है, क्योंकि लक्षण के गंभीर हो जाने पर इलाज मुश्किल हो सकता है।
जब व्यक्ति आंखों को मलता है, तो कीटाणु उसके हाथ में आ जाते हैं और जब कोई उससे हाथ मिलाए या कुछ शेयर करे, तो कीटाणु दूसरे व्यक्ति तक पहुंच जाते हैं। यह कीटाणु तौलिया शेयर करने या दरवाजे के हैंडल को छूने से भी फैल सकते हैं, क्योंकि दूसरे व्यक्ति के उन चीजों या जगहों के संपर्क में आने से कीटाणु उन तक पहुंच जाते हैं और फिर उनकी आंखों तक चले जाते हैं। कंप्यूटर का की-बोर्ड भी इसे फैलाने में बड़ा कारण साबित होता है। इसलिए सबसे महत्वपूर्ण है सावधानी। अपने हाथों से आंखों को न छुएं और न मलें, साथ ही अपने हाथ बार-बार साफ करते रहें। आप हैंड सैनिटाइजर का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
इसके अधिकतर मामले एडेनोवायरस के कारण होते हैं। इसके अलावा हर्पीस सिम्प्लेक्स वायरस, वैरिसेला जोस्टर वायरस और अन्य वायरस जिसमें कोरोना वायरस भी सम्मिलित है, इसका कारण बन सकते है। वायरल कंजक्टिवाइटिस अक्सर एक आंख में होता है, कुछ दिनों में दूसरी आंख में भी फैल जाता है।
कुछ बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण भी कंजक्टिवाइटिस हो जाता है। वायरस और बैक्टीरिया दोनों से ही होने वाला कंजक्टिवाइटिस संक्रामक होता है। संक्रमित व्यक्ति की आंखों से निकलने वाले डिसचार्ज के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संपर्क में आने के द्वारा यह फैल सकता है। संक्रमण एक या दोनों आंखों में हो सकता है।
एलर्जी करने वाले पदार्थों जैसे परागकण आदि के संपर्क में आने पर एलर्जिक कंजक्टिवाइटिस हो सकता है।